तलाश में हूँ.......
खुशियों की
ज़िन्दगी की
सुकून की.......
या शायद अपनी ही तलाश में गुम हूँ..........
कोशिश में हूँ.......
खुद को खुश रखने की
जिंदा रखने की
पुरसुकून रखने की.......
या शायद ज़िन्दगी की तलाश में गुम हूँ........
चाह में हूँ.........
खुद को समझने की
समझाने की
मनाने की.........
या शायद खुद को बहलाने की आस गुम हूँ...........
बस गुम हूँ इस सब के बीच कहीं.........
डर है खो न जाऊं कहीं
कैसे समझाउं खुद को
खुद ही समझ नहीं आता ........?
Wednesday, November 25, 2009
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ये आपकी आत्माभिव्यक्ति की अकांक्षा को प्रदर्शित करता है।
ReplyDeleteखदीजा जी यकीन मानिये ये तलाश जीवन भर यूँ ही चलती रहेगी..
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