Friday, March 5, 2010

ज़िन्दगी का तसव्वुर तेरे बग़ैर





कैसी होगी ज़िन्दगी तेरे बग़ैर........?
एक साथी तो होगा पर,
हमसफ़र न बन पायेगा.......
एक मकान तो होगा,
पर शायद घर न बन पायेगा.......
बचपन भी होगा,
पर क्या तुम्हारे जितना प्यार
कोई और लुटा पायेगा उस बचपन पर..........?
आँगन तो होगा मगर,
तुहरी आवाज़ की चेह्क न होगी.........
सूना न होगा वो आँगन तुम्हारे बग़ैर.......?
फूल तो होंगे,
पर खुशबू न होगी......
तुहरी ही खुशबू से तो महकते हैं वो.....
सूरज भी निकलेगा रोज़ की तरह,
पर क्या मेरे दिन की शुरुआत हो सकेगी,
तुम्हारी आवाज़ सुने बग़ैर.........?
रात हो सकेगी,
तुमसे बात किये बग़ैर........?
ज़िन्दगी तो होगी,
मगर क्या उसमे खुशिया भी होंगी.......?
यूं तो सब कुछ होगा ज़िन्दगी में,
पर क्या ज़िन्दगी होगी तुम्हारे बग़ैर.........?
अधूरी न होगी हर ख़ुशी.......?
हर मुस्कराहट,
हर चाहत,
क्या अधूरी न होगी मैं तुम्हारे बग़ैर.........?
सिहर उठती हूँ मैं इस ख़याल से भी,
के कैसी होगी ज़िन्दगी तुम्हारे बग़ैर .........
अधूरा न होगा सब कुछ तुम्हारे बग़ैर.......?

ख़दीजा अशरफ

5 comments:

  1. ख़दीजा अशरफ जी आपने बहुत ही सुन्दर लिखा है.. हर भाव को बहुत गहरे से लिखा है

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  2. गीत काफी लिरिकल है। दो लाइनों के बीच स्पेस न होता तो पढ़ने में ज्यादा सुविधा होती।

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    1. Rangnath ji shukriya... Aapke suggestion ka khayaal rakhungi.

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  3. ख़दीजा अशरफ जी
    आपने बहुत समय से कुछ लिखा नहीं है? कृपया लिखें, हमें अच्छा लगता है.

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  4. Ameen ji boht shukriya.. Boht zamaane se door hoon apne blog se par ab koshish karungi yahan haazri lagaane ki..!

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