Wednesday, August 8, 2012

क्या ठहराव की ख्वाहिश जाइज़ नहीं?


   जिंदगी उस नदी की तरह है जो ठहराव की तलाश में  बहती जा रही है ...
 कभी गिरती, कभी संभलती ... पथरीले इलाकों  से गुज़रती, चोट खाती या जबरन मुस्कुराती ... ये वो  नदी है जो ठहर कर कुछ देर सांस लेना चाहती है पर हक़ीक़त से अंजान है कि नदियों की तक़दीर में ठहराव नही, बहाव होता है ....! जब जहां से गुज़रती हैं, कभी इनकी रफ़्तार रास्ते में आने वाली चीज़ों का रुख बादल देती है तो कभी वो चीज़ें इनके बहाव की रफ़्तार को काट कर इनका रुख मोड़ देती हैं....पर नतीजा तो एक ही है, बहना ... बस बहते जाना ! शायद  ज़िंदगी से अब बस सुकून  की चाहत है, पर क्या सुकून की चाहत में मुझे यूंही बहते जाना होगा कुछ वक्त और ... ... ..???

                        कभी कुछ छोटे और अंजान झरने इसमें आकर मिल जाते हैं तो कभी ये गहरे और बड़े समंदर में जा मिलती हैं .... हाँ समंदर में मिलने के बाद इसकी रफ़्तार में थोड़ी कमी ज़रूर आती है पर ठहराव  नही...! अपने अंजाम से बेखबर बस बहती जा रही है... क्या नदियों की क़िस्मत में ठहराव नही है ....?
क्या इन्हें थक कर आराम करने  का हक नहीं...?
क्या इन्हें ठहरने  का हक नहीं...?
कब तक....आख़िर कब तक यूं अंजान सफर जारी रहेगा ...?
 सुकून की तलाश जाइज़ नहीं.....?
क्या ठहराव की ख्वाहिश जाइज़ नहीं?
इन्ही सवालों के ढूँढने में मेरी आधी ज़िंदगी निकल गयी..... उम्मीद है बाक़ी  की आधी इस  तरह बर्बाद ना हो!!

Friday, March 5, 2010

ज़िन्दगी का तसव्वुर तेरे बग़ैर





कैसी होगी ज़िन्दगी तेरे बग़ैर........?
एक साथी तो होगा पर,
हमसफ़र न बन पायेगा.......
एक मकान तो होगा,
पर शायद घर न बन पायेगा.......
बचपन भी होगा,
पर क्या तुम्हारे जितना प्यार
कोई और लुटा पायेगा उस बचपन पर..........?
आँगन तो होगा मगर,
तुहरी आवाज़ की चेह्क न होगी.........
सूना न होगा वो आँगन तुम्हारे बग़ैर.......?
फूल तो होंगे,
पर खुशबू न होगी......
तुहरी ही खुशबू से तो महकते हैं वो.....
सूरज भी निकलेगा रोज़ की तरह,
पर क्या मेरे दिन की शुरुआत हो सकेगी,
तुम्हारी आवाज़ सुने बग़ैर.........?
रात हो सकेगी,
तुमसे बात किये बग़ैर........?
ज़िन्दगी तो होगी,
मगर क्या उसमे खुशिया भी होंगी.......?
यूं तो सब कुछ होगा ज़िन्दगी में,
पर क्या ज़िन्दगी होगी तुम्हारे बग़ैर.........?
अधूरी न होगी हर ख़ुशी.......?
हर मुस्कराहट,
हर चाहत,
क्या अधूरी न होगी मैं तुम्हारे बग़ैर.........?
सिहर उठती हूँ मैं इस ख़याल से भी,
के कैसी होगी ज़िन्दगी तुम्हारे बग़ैर .........
अधूरा न होगा सब कुछ तुम्हारे बग़ैर.......?

ख़दीजा अशरफ

एक अधूरा सा एहसास



आज दिन अधूरा है
शब् अधूरी सी
चाँद अधूरा है
काएनात अधूरी सी
अधूरे रास्ते हैं
मंजिलें अधूरी सी
मैं अधूरी हूँ
ज़िन्दगी अधूरी सी........!

अधूरे लफ्ज़ हैं
दास्ताँ अधूरी सी
अधूरा आसमा
ज़मी अधूरी सी
अधूरे गाँव हैं
अंगनाईयां अधूरी सी
मैं अधूरी हूँ
ज़िन्दगी अधूरी सी........!


अधूरे बचपन हैं
जवानियाँ अधूरी सी
अधूरे जश्न हैं
तन्हाईयाँ अधूरी सी
अधूरे जिस्म हैं
परछाइयाँ अधूरी सी
मैं अधूरी हूँ
ज़िन्दगी अधूरी सी.........!


अधूरे बाग़ हैं
फुलवारिया अधूरी सी
अधूरे राज़ हैं
पोशीदगी अधूरी सी
अधूरे रंज हैं
संजीदगी अधूरी सी
मैं अधूरी हूँ
ज़िन्दगी अधूरी सी........!
अधूरी खुशियाँ हैं
गम्गीनियाँ अधूरी सी
अधूरा रंग है
रंगीनियाँ अधूरी सी
अधूरी जीत है
नाकामियां अधूरी सी
मैं अधूरी हूँ
ज़िन्दगी अधूरी सी........!


अधूरी बातें हैं
खामोशियाँ अधूरी सी
अधूरा होश है
मदहोशियाँ अधूरी सी
अधूरी नजदीकियां हैं
दूरियां अधूरी सी
मैं अधूरी हूँ
ज़िन्दगी अधूरी सी........!

कुछ लफ्ज़ जो दिल से निकले

है शौक़ बगुत लिखूं उस पर मैं कोई नग़मा

लिखने को मगर साज़-ओ- सामान नहीं मिलता

या रब तेरी दुनिया में कैसा ये क़ेहेर टूटा
इंसान के जामे में इंसान नहीं मिलता


ए काश लिखूं खुद ही, और खुद न समझ पाऊं
ऐसा कोई पेचीदा उन्वान नहीं मिलता


वो सुन के जिसे एकदम बेचैन से हो जाएँ
कहने को कोई ऐसा अशआर नहीं मिलता


तकसीम किया मुझको उसने कुछ इस तरह से
हैं जिस्म-ओ-दिल तो अपने पर एहसास नहीं मिलता


बेजान सी एक शै हूँ बाज़ार में खड़ी हूँ
बिकने को तो बिक जाऊं खरीदार नहीं मिलता


दौर-ए-जदीद है ये दामन बचा के चलना
फैशन परस्त लोगों में किरदार नहीं मिलता


हर दिन यही ख़बर है इतने मरे यहाँ पर
खूं रेज़ी न हो जिसमे वो अखबार नहीं मिलता


आओ जो मेरी कब्र पे तो अश्क न बहाना
रोने से मरने वाले को करार नहीं मिलता


हो और सितम किस पर है कौन सिवा तेरे
उनको वफ़ा तुझसा कोई नादान नहीं मिलता

Thursday, February 4, 2010

जो कभी ना सुलझी वो पहेली

क्या नज़रें मिलने से प्यार हो जाता है.........?
क्या साथ वक़्त बिताने से दो लोग करीब आ जाते हैं.........?
क्या मिलना, बात करना, साथ रहना ज़रूरी है.......?
पता नहीं..............


कभी कभी किसी की एक नज़र वो कर जाती है
जो बरसों की पहचान भी नहीं कर पाती.........
साथ रह कर भी अजनबियों की तरह रहने वाले
आज इतने करीब आ चुके हैं के दूर रहना मुश्किल हैं
वो अचानक नज़रों का मिलना.......
एक दुसरे को सवालिया नज़रों से देखते रहना........
और फिर...........
एक नयी कहानी की शुरुआत.........
कब, कहाँ,क्यूँ,कैसे.........
पता नहीं....

Monday, December 14, 2009

"ये किस मक़ाम पे मेरी हयात लाई मुझे,
 जो मुस्कुराना भी चाहूँ तो अश्क़ बहते हैं"

Friday, December 4, 2009

तुम दूर न जाया करो...........


कुछ कहना है तुमसे


अगर इजाज़त हो तुम्हारी.........?


तुम दूर न जाया करो.........


मेरी तनहाइयाँ गहरा जाती हैं
सोच पर यादों के पहरे बैठ जाते हैं
आँखों  में तुम्हारे इंतज़ार के चिराग 
बुझने का नाम ही नहीं लेते 
रातें इस क़दर सियाह हो जाती हैं 
के सुबह की किरने भी फीकी लगती हैं
सूरज भी मद्धम सा लगता है 
और चाँद बेनूर सा नज़र आता है
सुबह की ताजगी छिन जाती है 
और शामों की दिलकशी खो जाती है
तुम दूर न जाया करो...........


सब कुछ पहले जैसा होता है
बस तुम्हारी कमी बहुत सताती है
मुस्कराहट तो होती है चेहरे पर
मगर ख़ुशी रूठ जाती
धड़कने खामोश रहती हैं
शोर नहीं करतीं हमेशा की तरह 
साँसे तो होती हैं 
मगर साँसों की लय मद्धम पड़ जाती है 
जान तो होती है 
मगर ज़िन्दगी नहीं होती
तुम दूर न जाया करो..........


ओस की बूँदें पानी सी लगती हैं
फूलों पर गिरती तो हैं
मगर मायूस सी ठहर जाती हैं
मुस्कुराती नहीं
सहमी सी रुकी रहती हैं फूलों पर कहीं
हवाएं गुनगुनाती नहीं
तुम्हारी आवाज़ सुनने को बैचैन हों गोया  
तुम दूर न जाया करो.........


अपने इर्द गिर्द हर एक शख्स
मायूस सा नज़र आता है
पर ये हकीक़त नहीं है
हकीक़त तो ये है
के ये मायूसी, ये वीरानी
मेरे ही अन्दर कहीं छुपी बैठी है
जो तुम्हारे जाने से
मेरे दिल-ओ-दिमाघ पर तारी हो जाती है
दुनिया की भीड़ में अकेली हो जाती हूँ मैं तुम्हारे जाने से
तुम दूर न जाया करो..........


चहकने दो सुबहों को,
संवरने दो  शामों को,
सांसो की लय पर गुनगुनाने दो ज़िन्दगी को,
लहलहाने दो पत्तो को,
इठलाने दो शबनम की बूंदों को अधखिले फूलों पर,
खेलने दो हवाओं को खलाओं की गोद में,
बख्श  दो ज़िन्दगी हर उस शय को
जिनकी खुशियाँ तुमसे वाबस्ता हैं
इसी लिए कहती हूँ
तुम दूर न जाया कर...........
तुम दूर न जाया करो..........